गेहूं का आटा, चीनी, इलायची पाउडर और बादाम से बनता है। यह उत्तर भारत में लोकप्रिय है आटे का हलवा को भी कड़ा प्रशाद के रूप में भी जाना जाता है जो नवरात्रि के दौरान अष्टमी या नवमी उत्सव जैसे विशेष अवसरों पर बनाया जाता है।
जब घी पूरी तरह से पिघल जाये और बुलबुले आने लेगे तब उसमें गेहूं का आटा मिलाए।
पूरी प्रक्रिया को कम लौ पर रख के पकाए ।
आटा और घी को मिला लें, और अच्छी तरह भुने आटा घी को सोक लेता है। इस पल में अगर आपको ज्यादा घी दल सकते है मगर आप उतना हे घी डाले जितनी अवासक्त हो वरना हलवा में घी ज्यादा है तो इसे तदनुसार जोड़ें क्योंकि स्वाद घी से प्राप्त होता है।
जब तक गेहूं का आटा रंग में भूरा नहीं हो जाता है और अच्छे सुगंध का उत्पादन होता है तब तक सरगर्मी पर रखें। यदि आप नीच से हलवा को मिलते रहे नहीं तो पैन पर चिपकाएंगे और आपको जला हुआ स्वाद आयगा|
एक बार जब गेहूं का आटा एकदम सही गहरे भूरे रंग के रंग में बदल जाता है तो दूध डालो। मिश्रण सूख जाता है, तब उसमे दूध सावधानी से दल के मिलाए ।
मध्यम पर लौ को रखे और जल्दी से मिश्रण को मिलाए ताकि कोई गठ्ठा न बन सके।
दूध धीरे-धीरे अवशोषित हो जाएगा
एक बार जब आटे का दूध अवशोषित हो जाता है तो इसमें शक्कर डाले।
चीनी को जोड़ने के बाद थोड़ा सा पानी छिड़क कर रखता है जिससे हलवा नरम हो जाता है और अच्छी तरह से हिलाए जब तक सभी पानी अवशोषित नहीं हो जाता है और चीनी घुल न जाये
इलायची पाउडर और कटा हुआ बादाम मिलाए और इस मिश्रण को दोबारा मिलाए दें।
बादाम के साथ गार्निश और परोसे |
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Notes
ध्यान दे: अपने हिसाब से ड्राई फ्रूट्स मिला सकते है | हलवा बनाते वक़्त आप केवल पानी का उपयोग भी कर सकते है दूध क जगह |